Giloy / गिलोय के औषधीय गुण और यह 11 फायदें
प्रकृति ने आयुर्वेद में बुखार की एक महान और उत्तम प्रकार की जड़ी-बूटी के रूप में हमें गिलोय (Giloy-Tinospora Kardifolia) उपहार स्वरूप प्रदान की है इसकी लता नीम के पेड़ पे चढ़ती हुई आप को दिख जायेगी इसके पत्ते पान के आकार के होते है जिस वृक्ष को यह अपना आधार बनती है- उसके गुण भी इसमें समाहित रहते हैं -इस दृष्टि से नीम पर चढ़ी गिलोय/Giloy(Best Drug) श्रेष्ठ औषधि मानी जाती है बहुत से लोग इसे विभिन्न नाम से भी जानते है।अमृता, गुडुची, छिन्नरुहा, चक्रांगी आदि।
आप गिलोय को अपने घर के गमले में लगा कर रस्सी से उसकी लता को बांध सकते हैं इसके बाद इसके रस का प्रयोग कर सकते हैं। गिलोय एक दवाई के रूप में जानी जाती है जिसका रस पीने से शरीर के अनेको प्रकार के कष्ट और बीमारियां दूर हो जाती हैं।
आजकल तो बाजार में गिलोय की गोलियां, सीरप, पाउडर आदि भी मिलना शुरु हो चुके हैं। गिलोय शरीर के दोषों (कफ ,वात और पित्त) को संतुलित करती है और शरीर का कायाकल्प करने की क्षमता रखती है।
गिलोय का उल्टी, बेहोशी, कफ, पीलिया, धातू विकार, सिफलिस, एलर्जी सहित अन्य त्वचा विकार, चर्म रोग, झाइयां, झुर्रियां, कमजोरी, गले के संक्रमण, खाँसी, छींक, विषम ज्वर नाशक, टाइफायड, मलेरिया, डेंगू, पेट कृमि, पेट के रोग, सीने में जकड़न, जोडों में दर्द, रक्त विकार, निम्न रक्तचाप, हृदयदौर्बल्य, (टीबी), लीवर, किडनी, मूत्ररोग, मधुमेह, रक्तशोधक, रोग प्रतिरोधक, गैस, बुढापा रोकने वाली, खांसी मिटाने वाली, भूख बढ़ाने वाली प्राकृतिक औषधि के रूप में खूब प्रयोग होता है।
बुखार के लिए रामबाण है गिलोय(Giloy)
गिलोय(Giloy-Tinospora Kardifolia) टाइफायड, मलेरिया, डेंगू, एलीफेंटिएसिस, विषम ज्वर, उल्टी, बेहोशी, कफ, पीलिया, तिल्ली बढऩा, सिफलिस, एलर्जी सहित अन्य त्वचा विकार, झाइयां, झुर्रियां, कुष्ठ आदि में गिलोय का सेवन आश्चर्यजनक परिणाम देता है। यह शरीर में इंसुलिन उत्पादन क्षमता बढ़ाती है।गिलोय बीमारियों से लडऩे, उन्हें मिटाने और रोगी में शक्ति के संचरण में यह अपनी विशिष्ट भूमिका निभाती है।
एक नजर इसके प्रयोग पर
1. बुखार को ठीक करने का इसमें अद्भुत गुण है पर यह मलेरिया पर अधिक प्रभावी नहीं है लेकिन शरीर की समस्त मेटाबोलिक क्रियाओं को व्यवस्थित करने के साथ सिनकोना चूर्ण या कुनाईनं औषधि के साथ देने पर उसके घातक प्रभावों को रोक कर शीघ्र लाभ देती है।
2. दीर्घायु प्रदान करने वाली अमृत तुल्य गिलोय(Giloy) और गेहूं के ज्वारे के रस के साथ तुलसी के 7 पत्ते तथा नीम के पत्ते खाने से कैंसर जैसे रोग में भी लाभ होता है। गिलोय की जड़ें शक्तिशाली एंटीऑक्सिडेंट है। यह कैंसर की रोकथाम और उपचार में प्रयोग की जाती है।
3. गिलोय और पुनर्नवा मिर्गी में लाभप्रद होती है। इसे आवश्यकतानुसार अकेले या अन्य औषधियों के साथ दिया जाता है। अनेक रोगों में इसे पशुओं के रोगों में भी दिया जाता है।
4. गिलोय उच्च कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने के लिए, शर्करा का स्तर बनाए रखने में मदद करता है। यह शरीर को दिल से संबंधित बीमारियों से बचाए रखता है।
5. गिलोय एक रसायन है। यह रक्तशोधक- ओजवर्धक- ह्रुदयरोग नाशक -शोधनाशक और लीवर टोनिक भी है। यह पीलिया और जीर्ण ज्वर का नाश करती है अग्नि को तीव्र करती है।
6. वातरक्त और आमवात के लिये तो यह महा विनाशक है। गिलोय की बेल गले में लपेटने से भी पीलिया में लाभ होता है गिलोय के काढ़े में शहद मिलाकर दिन में 3-4 बार पीने से पीलिया रोग ठीक हो जाता है। गिलोय के पत्तों को पीसकर एक गिलास मट्ठा में मिलाकर सुबह सुबह पीने से पीलिया ठीक हो जाता है।
7. गिलोय के 6 इंच तने को लेकर कुचल कर उसमे 4 या 5 पत्तियां तुलसी की मिला ले तथा इसको एक गिलास पानी में मिला कर उबालकर इसका काढा बनाकर पीजिये और इसके साथ ही तीन चम्मच एलोवेरा का गूदा पानी में मिला कर नियमित रूप से सेवन करते रहने से जिन्दगी भर आपको कोई भी बीमारी नहीं आती है और यदि इसमें पपीता के 3-4 पत्तो का रस मिला कर लेने दिन में तीन चार लेने से रोगी को प्लेटलेट की मात्रा में तेजी से इजाफा होता है प्लेटलेट बढ़ाने का इस से बढ़िया कोई इलाज नहीं है।
8. गिलोय चिकन गुनियां, डेंगू , स्वायन फ्लू और बर्ड फ्लू में रामबाण होता है।
9. गिलोय का चूर्ण शहद के साथ खाने से कफ और सोंठ के साथ आमवात से सम्बंधित बीमारीयां (गठिया-Gout) रोग ठीक होता है। गैस, जोडों का दर्द, शरीर का टूटना, असमय बुढापा, वात असंतुलित होने का लक्षण हैं तो गिलोय का एक चम्मच चूर्ण को घी के साथ लेने से वात संतुलित होता है।
10. गिलोय और अश्वगंधा को दूध में पकाकर नियमित खिलाने से स्त्रियों को बाँझपन से मुक्ति मिलती हैं।
11. क्षय (टी .बी .) रोग में गिलोय सत्व-इलायची तथा वंशलोचन को शहद के साथ लेने से लाभ होता है।
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